Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

March 05, 2017

संसार को सही दृष्टि से देखना चाहिए।




 
                 कुछ व्यक्तियोँ को अपने अतिरिक्त अन्य सभी से कुछ न कुछ शिकायत रहा करती है, उन्हेँ इस दुनियाँ मेँ ढंग का कोई आदमी ही नजर नहीँ आता, मुश्किल से उंगलियोँ पर गिने जा सकने जितने व्यक्तियोँ से उन्हेँ कोई शिकायत नहीँ होती, वे ही उन्हेँ पसंद आते हैँ और अच्छे लगते हैँ। उनकी नजर मेँ कोई मूर्ख, कोई पागल, कोई फूहड़, कोई अनैतिक और मक्कार तो कोई और कुछ होता है, पर भला नहीँ। ऐसे व्यक्तियोँ के लिए यह संसार एक प्रकार से जेलखाना और अपना जीवन एक बंदी का सा होता है। हर व्यक्ति को अपनी ही मान्यताओँ अपने ही आदर्शोँ, अपने ही विचारोँ और अपनी ही व्यक्तिगत पसंदगी से नापना कोई बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य नहीँ हो सकता



.

March 09, 2016

सुख-दुःख का अधिष्ठाता 'मन'

Image result for soul










                  मोहग्रस्त मनुष्य अज्ञान के कारण मानव-जीवन  का ठीक-ठीक महत्व नहीँ समझ पा रहा है। चूँकि उसे मनुष्य शरीर मिल गया है इसलिए वह समझने लगा है कि यह तो योँ ही बिना विशेष विधान के मिलता ही रहता है। प्रतिदिन जीवोँ को इस शरीर मेँ आते देखकर उसने इसे बड़ी ही सस्ती और सामान्य प्रक्रिया मान लिया है। मानव-जीवन के प्रति इसी सस्तेपन के भाव के कारण वह इसकी उतनी कद्र नहीँ करता जितनी करनी चाहिए। तभी तो आज संसार मेँ अधिकांश मनुष्य अशांत, असंतुष्ट और दुःखी दिखाई देते हैं।

किसी वस्तु का मूल्य एवं महत्व 

February 21, 2016

आत्मानुभूति का भाव बनाता है श्रेष्ठ

सदियोँ पुरानी सभ्यता का युवा रिषि हमेँ आत्म स्वरूप की अनुभूति का ही संदेश देता है। सच्चे व आध्यात्मिक व्यक्ति को सर्वत्र उदार माना जाता है। आज के समय मेँ हमेँ उदारमना मनुष्योँ की ही आवश्यकता है। उदारता से वैमनस्य

August 19, 2015

नैतिकता पर हावी भौतिकता

वर्तमान 

  मेँ भौतिकता का स्तर नैतिकता से कहीँ अधिक ऊँचा है, इतना अधिक कि नैतिकता बहुत पीछे छूट चुकी है। भौतिकता मनुष्य का जीवन विलासितापूर्ण बना देती है,यदि यह कहेँ तो कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भौतिकता एक

May 18, 2015

मनुष्य के मूल्याकंन का मापदंड बदलेँ

 Image result for goutam budh

मनुष्य 

महत्त्वाकांक्षाओँ का पुतला है और इन महत्त्वाकांक्षाओँ के कारण ही उसकी दृष्टि मेँ सफलता एक मूल्यवान उपलब्धि है। प्रत्येक मनुष्य सफल होना चाहता है, परंतु सफलता की सर्वमान्य परिभाषा
नियत नहीँ की जा सकती है और इसी कारण अलग-अलग व्यक्तियोँ के लिए सफलता अलग-अलग अर्थ रखती है। कोई व्यक्ति यश और सम्मान को सफलता का आधार मानता है तो कोई धन और पद को। किसी की दृष्टि मेँ विद्या बुद्धि मनुष्य के मूल्याँकन की कसौटी है तो किसी के लिए मनुष्य का पद और प्रतिष्ठा।उन सभी अर्थोँ के आधार पर किसी निष्कर्ष पर तो पहुँचा ही जा सकता है और यह भी हो सकता है कि वे भिन्नताएँ भी तत्त्वतः अपने मेँ एकरुपता रखती होँ। सफलता

February 10, 2015

मनःस्थिति ठीक रखनी चाहिए।

जीवन में जब कभी हम दोराहे पर खड़े हों, परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों, मुसीबतों का चक्रव्यूह भेदना भी कठिन ॐ हो,अपनों ने भी साथ छोड़ दिया हो, बुद्धि तो जैसे भ्रमित सी हो गयी हो तो क्याकरें ? कैसे ऐसे बुरे समय से बाहर निकलें ? कैसे फिर से जीवन सहज, सुखी, सफल, संतुष्ट और सरल बनायें ? उत्तर बड़ा ही संक्षिप्त है कि बस हम श्रद्धा और विश्वास को बिखरने न दें | श्रद्धा उस ज्ञान के प्रति कि जो मानव को अवगत कराता है इस सत्य से कि ऊषाकाल की पहली किरण से पहले का अँधेरा सबसे ज़्यादा घना हुआ करता है

January 15, 2015

धैर्य का महत्व



जीवन  

मेँ धैर्य और सफलता का गहरा रिश्ता है क्योकि धैर्य बनाकर रखने वाले लोग अपने कामोँ के इच्छित नतीजे न आने पर भी हिम्मत बनाए रखते है और जीत के लिए लगातार प्रयास करते रहते है।
 यह धैर्य हमेँ मानसिक रूप से मजबूत बनाता है जिससे मनुष्य विपरीत परिस्थितियोँ से भी अपने प्रयासोँ द्धारा बाहर निकल आता है। इसका कारण है कि धैर्यवान मनुष्य अपनी जीत के साथ-साथ अपनी हार को भी बर्दाश्त करने की क्षमता रखता है अन्यथा धैर्यहीन के अवसादग्रस्त होने का खतरा रहता है।

January 02, 2015

उपदेश का सही प्रभाव

उपदेशदाता   का कार्य उपदेश देना है लेकिन जिस व्यक्ति मेँ सत्यनिष्ठा नहीँ है और उसे उपदेश दिया जाए, उसे समझाने का प्रयत्न करेँ कि व्यवहार प्रामाणिक होना चाहिए, अप्रामाणिक व्यवहारअच्छा नहीँ है तो वह सुन लेगा। कहने वाला

November 08, 2014

छलावा क्या है?

इस संसार मेँ मनुष्य चौबीसोँ घंटे शरीर की सेवा-सुश्रूषा मे लगा रहता है। शरीर की एक भी इच्छा अपूर्ण नहीँ रहने देता, हर मांग की पूर्ति करता है। मगर जो इसका मालिक है, कर्ता-धर्ता है, जिसके कारण