कुछ व्यक्तियोँ को अपने अतिरिक्त अन्य सभी से कुछ न कुछ शिकायत रहा करती है, उन्हेँ इस दुनियाँ मेँ ढंग का कोई आदमी ही नजर नहीँ आता, मुश्किल से उंगलियोँ पर गिने जा सकने जितने व्यक्तियोँ से उन्हेँ कोई शिकायत नहीँ होती, वे ही उन्हेँ पसंद आते हैँ और अच्छे लगते हैँ। उनकी नजर मेँ कोई मूर्ख, कोई पागल, कोई फूहड़, कोई अनैतिक और मक्कार तो कोई और कुछ होता है, पर भला नहीँ। ऐसे व्यक्तियोँ के लिए यह संसार एक प्रकार से जेलखाना और अपना जीवन एक बंदी का सा होता है। हर व्यक्ति को अपनी ही मान्यताओँ अपने ही आदर्शोँ, अपने ही विचारोँ और अपनी ही व्यक्तिगत पसंदगी से नापना कोई बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य नहीँ हो सकता
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