कुछ व्यक्तियोँ को अपने अतिरिक्त अन्य सभी से कुछ न कुछ शिकायत रहा करती है, उन्हेँ इस दुनियाँ मेँ ढंग का कोई आदमी ही नजर नहीँ आता, मुश्किल से उंगलियोँ पर गिने जा सकने जितने व्यक्तियोँ से उन्हेँ कोई शिकायत नहीँ होती, वे ही उन्हेँ पसंद आते हैँ और अच्छे लगते हैँ। उनकी नजर मेँ कोई मूर्ख, कोई पागल, कोई फूहड़, कोई अनैतिक और मक्कार तो कोई और कुछ होता है, पर भला नहीँ। ऐसे व्यक्तियोँ के लिए यह संसार एक प्रकार से जेलखाना और अपना जीवन एक बंदी का सा होता है। हर व्यक्ति को अपनी ही मान्यताओँ अपने ही आदर्शोँ, अपने ही विचारोँ और अपनी ही व्यक्तिगत पसंदगी से नापना कोई बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य नहीँ हो सकता
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18 comments:
लम्बे समय बाद सभी पाठको का जीवनविचार पर स्वागत है ।
धन्यवाद।
Sahi kaha....
Thanks to you.
दिनांक 07/03/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
Kuldeep ji,
Thanks
जी,बहुत बढियाँ...
सत्य जीवन विचार।
Bhut acche vichar h aap ke keep posting and keep visitng on https://kahanikikitab.blogspot.in
बिलकुल सही कहा है...बहुत सुन्दर और सार्थक चिंतन...
सत्य बचन
होली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
सही कहा आपने
Sahi kaha....
Shubhkamnaye
साथॆक प्रस्तुतिकरण......
मेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....
आपका कहना सही है ... पर ऐसा होता नहीं ... इंसान अपनी ही दृष्टि को सही मानता है ...
बहुत प्रभावपूर्ण रचना......
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपके विचारों का इन्तज़ार.....
बहुत सुन्दर रचना..... आभार
मेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।
mere blog ki new post par aapke vicharo ka swagat...
Happy Father's Day!
bahut sahe bat kahe apne
उत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....
बिलकुल सही कहा है...बहुत सुन्दर और सार्थक चिंतन...
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